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SELECT SUKTA OF MANDALA 05
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 05 Sukta 084
A
A+
३ भौमोऽत्रिः। पृथिवी। अनुष्टुप्।
बळि॒त्था पर्व॑तानां खि॒द्रं बि॑भर्षि पृथिवि । प्र या भूमिं॑ प्रवत्वति म॒ह्ना जि॒नोषि॑ महिनि ॥१॥
स्तोमा॑सस्त्वा विचारिणि॒ प्रति॑ ष्टोभन्त्य॒क्तुभि॑: । प्र या वाजं॒ न हेष॑न्तं पे॒रुमस्य॑स्यर्जुनि ॥२॥
दृ॒ळहा चि॒द् या वन॒स्पती॑न् क्ष्म॒या दर्ध॒र्ष्योज॑सा । यत् ते॑ अ॒भ्रस्य॑ वि॒द्युतो॑ दि॒वो वर्ष॑न्ति वृ॒ष्टय॑: ॥३॥
बळि॒त्था पर्व॑तानां खि॒द्रं बि॑भर्षि पृथिवि । प्र या भूमिं॑ प्रवत्वति म॒ह्ना जि॒नोषि॑ महिनि ॥१॥
स्तोमा॑सस्त्वा विचारिणि॒ प्रति॑ ष्टोभन्त्य॒क्तुभि॑: । प्र या वाजं॒ न हेष॑न्तं पे॒रुमस्य॑स्यर्जुनि ॥२॥
दृ॒ळहा चि॒द् या वन॒स्पती॑न् क्ष्म॒या दर्ध॒र्ष्योज॑सा । यत् ते॑ अ॒भ्रस्य॑ वि॒द्युतो॑ दि॒वो वर्ष॑न्ति वृ॒ष्टय॑: ॥३॥