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SELECT SUKTA OF MANDALA 08
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 08 Sukta 081
A
A+
९ कुसीदी काण्व:। इन्द्र: । गायत्री ।
आ तू न॑ इन्द्र क्षु॒मन्तं॑ चि॒त्रं ग्रा॒भं सं गृ॑भाय । म॒हा॒ह॒स्ती दक्षि॑णेन ॥१॥
वि॒द्मा हि त्वा॑ तुविकू॒र्मिं तु॒विदे॑ष्णं तु॒वीम॑घम् । तु॒वि॒मा॒त्रमवो॑भिः ॥२॥
न॒हि त्वा॑ शूर दे॒वा न मर्ता॑सो॒ दित्स॑न्तम् । भी॒मं न गां वा॒रय॑न्ते ॥३॥
एतो॒ न्विन्द्रं॒ स्तवा॒मेशा॑नं॒ वस्व॑: स्व॒राज॑म् । न राध॑सा मर्धिषन्नः ॥४॥
प्र स्तो॑ष॒दुप॑ गासिष॒च्छ्रव॒त्साम॑ गी॒यमा॑नम् । अ॒भि राध॑सा जुगुरत् ॥५॥
आ नो॑ भर॒ दक्षि॑णेना॒ऽभि स॒व्येन॒ प्र मृ॑श । इन्द्र॒ मा नो॒ वसो॒र्निर्भा॑क् ॥६॥
उप॑ क्रम॒स्वा भ॑र धृष॒ता धृ॑ष्णो॒ जना॑नाम् । अदा॑शूष्टरस्य॒ वेद॑: ॥७॥
इन्द्र॒ य उ॒ नु ते॒ अस्ति॒ वाजो॒ विप्रे॑भि॒: सनि॑त्वः । अ॒स्माभि॒: सु तं स॑नुहि ॥८॥
स॒द्यो॒जुव॑स्ते॒ वाजा॑ अ॒स्मभ्यं॑ वि॒श्वश्च॑न्द्राः । वशै॑श्च म॒क्षू ज॑रन्ते ॥१३॥
आ तू न॑ इन्द्र क्षु॒मन्तं॑ चि॒त्रं ग्रा॒भं सं गृ॑भाय । म॒हा॒ह॒स्ती दक्षि॑णेन ॥१॥
वि॒द्मा हि त्वा॑ तुविकू॒र्मिं तु॒विदे॑ष्णं तु॒वीम॑घम् । तु॒वि॒मा॒त्रमवो॑भिः ॥२॥
न॒हि त्वा॑ शूर दे॒वा न मर्ता॑सो॒ दित्स॑न्तम् । भी॒मं न गां वा॒रय॑न्ते ॥३॥
एतो॒ न्विन्द्रं॒ स्तवा॒मेशा॑नं॒ वस्व॑: स्व॒राज॑म् । न राध॑सा मर्धिषन्नः ॥४॥
प्र स्तो॑ष॒दुप॑ गासिष॒च्छ्रव॒त्साम॑ गी॒यमा॑नम् । अ॒भि राध॑सा जुगुरत् ॥५॥
आ नो॑ भर॒ दक्षि॑णेना॒ऽभि स॒व्येन॒ प्र मृ॑श । इन्द्र॒ मा नो॒ वसो॒र्निर्भा॑क् ॥६॥
उप॑ क्रम॒स्वा भ॑र धृष॒ता धृ॑ष्णो॒ जना॑नाम् । अदा॑शूष्टरस्य॒ वेद॑: ॥७॥
इन्द्र॒ य उ॒ नु ते॒ अस्ति॒ वाजो॒ विप्रे॑भि॒: सनि॑त्वः । अ॒स्माभि॒: सु तं स॑नुहि ॥८॥
स॒द्यो॒जुव॑स्ते॒ वाजा॑ अ॒स्मभ्यं॑ वि॒श्वश्च॑न्द्राः । वशै॑श्च म॒क्षू ज॑रन्ते ॥१३॥