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SELECT SUKTA OF MANDALA 08
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 08 Sukta 054
A
A+
८ मातरिश्वा काण्व:। इन्द्र:, ३-४ विश्वे देवा : । प्रगाथ:= ( विषमा बृहती, समा सतोबृहती ) ।
ए॒तत्त॑ इन्द्र वी॒र्यं॑ गी॒र्भिर्गृ॒णन्ति॑ का॒रव॑: । ते स्तोभ॑न्त॒ ऊर्ज॑मावन्घृत॒श्चुतं॑ पौ॒रासो॑ नक्षन्धी॒तिभि॑: ॥१॥
नक्ष॑न्त॒ इन्द्र॒मव॑से सुकृ॒त्यया॒ येषां॑ सु॒तेषु॒ मन्द॑से । यथा॑ संव॒र्ते अम॑दो॒ यथा॑ कृ॒श ए॒वास्मे इ॑न्द्र मत्स्व ॥२॥
आ नो॒ विश्वे॑ स॒जोष॑सो॒ देवा॑सो॒ गन्त॒नोप॑ नः । वस॑वो रु॒द्रा अव॑से न॒ आ ग॑मञ्छृ॒ण्वन्तु॑ म॒रुतो॒ हव॑म् ॥३॥
पू॒षा विष्णु॒र्हव॑नं मे॒ सर॑स्व॒त्यव॑न्तु स॒प्त सिन्ध॑वः । आपो॒ वात॒: पर्व॑तासो॒ वन॒स्पति॑: शृ॒णोतु॑ पृथि॒वी हव॑म्॥४॥
यदि॑न्द्र॒ राधो॒ अस्ति॑ ते॒ माघो॑नं मघवत्तम । तेन॑ नो बोधि सध॒माद्यो॑ वृ॒धे भगो॑ दा॒नाय॑ वृत्रहन् ॥५॥
आजि॑पते नृपते॒ त्वमिद्धि नो॒ वाज॒ आ व॑क्षि सुक्रतो । वी॒ती होत्रा॑भिरु॒त दे॒ववी॑तिभिः सस॒वांसो॒ वि शृ॑ण्विरे ॥६॥
सन्ति॒ ह्य१र्य आ॒शिष॒ इन्द्र॒ आयु॒र्जना॑नाम् । अ॒स्मान्न॑क्षस्व मघव॒न्नुपाव॑से धु॒क्षस्व॑ पि॒प्युषी॒मिष॑म् ॥७॥
व॒यं त॑ इन्द्र॒ स्तोमे॑भिर्विधेम॒ त्वम॒स्माकं॑ शतक्रतो । महि॑ स्थू॒रं श॑श॒यं राधो॒ अह्र॑यं॒ प्रस्क॑ण्वाय॒ नि तो॑शय॥८॥
ए॒तत्त॑ इन्द्र वी॒र्यं॑ गी॒र्भिर्गृ॒णन्ति॑ का॒रव॑: । ते स्तोभ॑न्त॒ ऊर्ज॑मावन्घृत॒श्चुतं॑ पौ॒रासो॑ नक्षन्धी॒तिभि॑: ॥१॥
नक्ष॑न्त॒ इन्द्र॒मव॑से सुकृ॒त्यया॒ येषां॑ सु॒तेषु॒ मन्द॑से । यथा॑ संव॒र्ते अम॑दो॒ यथा॑ कृ॒श ए॒वास्मे इ॑न्द्र मत्स्व ॥२॥
आ नो॒ विश्वे॑ स॒जोष॑सो॒ देवा॑सो॒ गन्त॒नोप॑ नः । वस॑वो रु॒द्रा अव॑से न॒ आ ग॑मञ्छृ॒ण्वन्तु॑ म॒रुतो॒ हव॑म् ॥३॥
पू॒षा विष्णु॒र्हव॑नं मे॒ सर॑स्व॒त्यव॑न्तु स॒प्त सिन्ध॑वः । आपो॒ वात॒: पर्व॑तासो॒ वन॒स्पति॑: शृ॒णोतु॑ पृथि॒वी हव॑म्॥४॥
यदि॑न्द्र॒ राधो॒ अस्ति॑ ते॒ माघो॑नं मघवत्तम । तेन॑ नो बोधि सध॒माद्यो॑ वृ॒धे भगो॑ दा॒नाय॑ वृत्रहन् ॥५॥
आजि॑पते नृपते॒ त्वमिद्धि नो॒ वाज॒ आ व॑क्षि सुक्रतो । वी॒ती होत्रा॑भिरु॒त दे॒ववी॑तिभिः सस॒वांसो॒ वि शृ॑ण्विरे ॥६॥
सन्ति॒ ह्य१र्य आ॒शिष॒ इन्द्र॒ आयु॒र्जना॑नाम् । अ॒स्मान्न॑क्षस्व मघव॒न्नुपाव॑से धु॒क्षस्व॑ पि॒प्युषी॒मिष॑म् ॥७॥
व॒यं त॑ इन्द्र॒ स्तोमे॑भिर्विधेम॒ त्वम॒स्माकं॑ शतक्रतो । महि॑ स्थू॒रं श॑श॒यं राधो॒ अह्र॑यं॒ प्रस्क॑ण्वाय॒ नि तो॑शय॥८॥