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SELECT SUKTA OF MANDALA 08
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 08 Sukta 028
A
A+
५ मनुर्वैवस्वत: । विश्वे देवा: । गायत्री , ४ पुरउष्णिक् ।
ये त्रिं॒शति॒ त्रय॑स्प॒रो दे॒वासो॑ ब॒र्हिरास॑दन् । वि॒दन्नह॑ द्वि॒तास॑नन् ॥१॥
वरु॑णो मि॒त्रो अ॑र्य॒मा स्मद्रा॑तिषाचो अ॒ग्नय॑: । पत्नी॑वन्तो॒ वष॑ट्कृताः ॥२॥
ते नो॑ गो॒पा अ॑पा॒च्यास्त उद॒क्त इ॒त्था न्य॑क् । पु॒रस्ता॒त्सर्व॑या वि॒शा ॥३॥
यथा॒ वश॑न्ति दे॒वास्तथेद॑स॒त्तदे॑षां॒ नकि॒रा मि॑नत् । अरा॑वा च॒न मर्त्य॑: ॥४॥
स॒प्ता॒नां स॒प्त ऋ॒ष्टय॑: स॒प्त द्यु॒म्नान्ये॑षाम् । स॒प्तो अधि॒ श्रियो॑ धिरे ॥५॥
ये त्रिं॒शति॒ त्रय॑स्प॒रो दे॒वासो॑ ब॒र्हिरास॑दन् । वि॒दन्नह॑ द्वि॒तास॑नन् ॥१॥
वरु॑णो मि॒त्रो अ॑र्य॒मा स्मद्रा॑तिषाचो अ॒ग्नय॑: । पत्नी॑वन्तो॒ वष॑ट्कृताः ॥२॥
ते नो॑ गो॒पा अ॑पा॒च्यास्त उद॒क्त इ॒त्था न्य॑क् । पु॒रस्ता॒त्सर्व॑या वि॒शा ॥३॥
यथा॒ वश॑न्ति दे॒वास्तथेद॑स॒त्तदे॑षां॒ नकि॒रा मि॑नत् । अरा॑वा च॒न मर्त्य॑: ॥४॥
स॒प्ता॒नां स॒प्त ऋ॒ष्टय॑: स॒प्त द्यु॒म्नान्ये॑षाम् । स॒प्तो अधि॒ श्रियो॑ धिरे ॥५॥