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SELECT SUKTA OF MANDALA 08
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 08 Sukta 056
A
A+
५ पृषध्र: काण्व:। इन्द्र:, प्रस्कण्वश्च ५ अग्निसूर्यौ । गायत्री , ५ पंक्ति:।
प्रति॑ ते दस्यवे वृक॒ राधो॑ अद॒र्श्यह्र॑यम् । द्यौर्न प्र॑थि॒ना शव॑: ॥१॥
दश॒ मह्यं॑ पौतक्र॒तः स॒हस्रा॒ दस्य॑वे॒ वृक॑: । नित्या॑द्रा॒यो अ॑मंहत ॥२॥
श॒तं मे॑ गर्द॒भानां॑ श॒तमूर्णा॑वतीनाम् । श॒तं दा॒साँ अति॒ स्रज॑: ॥३॥
तत्रो॒ अपि॒ प्राणी॑यत पू॒तक्र॑तायै॒ व्य॑क्ता । अश्वा॑ना॒मिन्न यू॒थ्या॑म् ॥४॥
अचे॑त्य॒ग्निश्चि॑कि॒तुर्ह॑व्य॒वाट् स सु॒मद्र॑थः । अ॒ग्निः शु॒क्रेण॑ शो॒चिषा॑ बृ॒हत्सूरो॑ अरोचत दि॒वि सूर्यो॑ अरोचत ॥५॥
प्रति॑ ते दस्यवे वृक॒ राधो॑ अद॒र्श्यह्र॑यम् । द्यौर्न प्र॑थि॒ना शव॑: ॥१॥
दश॒ मह्यं॑ पौतक्र॒तः स॒हस्रा॒ दस्य॑वे॒ वृक॑: । नित्या॑द्रा॒यो अ॑मंहत ॥२॥
श॒तं मे॑ गर्द॒भानां॑ श॒तमूर्णा॑वतीनाम् । श॒तं दा॒साँ अति॒ स्रज॑: ॥३॥
तत्रो॒ अपि॒ प्राणी॑यत पू॒तक्र॑तायै॒ व्य॑क्ता । अश्वा॑ना॒मिन्न यू॒थ्या॑म् ॥४॥
अचे॑त्य॒ग्निश्चि॑कि॒तुर्ह॑व्य॒वाट् स सु॒मद्र॑थः । अ॒ग्निः शु॒क्रेण॑ शो॒चिषा॑ बृ॒हत्सूरो॑ अरोचत दि॒वि सूर्यो॑ अरोचत ॥५॥