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SELECT SUKTA OF MANDALA 05
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 05 Sukta 070
A
A+
४ उरुचक्रिरात्रेयः। मित्रावरुणौ। गायत्री।
पु॒रू॒रुणा॑ चि॒द्ध्यस्त्यवो॑ नू॒नं वां॑ वरुण । मित्र॒ वंसि॑ वां सुम॒तिम् ॥१॥
ता वां॑ स॒म्यग॑द्रुह्वा॒णेष॑मश्याम॒ धाय॑से । व॒यं ते रु॑द्रा स्याम ॥२॥
पा॒तं नो॑ रुद्रा पा॒युभि॑रु॒त त्रा॑येथां सुत्रा॒त्रा । तु॒र्याम॒ दस्यू॑न् त॒नूभि॑: ॥३॥
मा कस्या॑द्भुतक्रतू य॒क्षं भु॑जेमा त॒नूभि॑: । मा शेष॑सा॒ मा तन॑सा ॥४॥
पु॒रू॒रुणा॑ चि॒द्ध्यस्त्यवो॑ नू॒नं वां॑ वरुण । मित्र॒ वंसि॑ वां सुम॒तिम् ॥१॥
ता वां॑ स॒म्यग॑द्रुह्वा॒णेष॑मश्याम॒ धाय॑से । व॒यं ते रु॑द्रा स्याम ॥२॥
पा॒तं नो॑ रुद्रा पा॒युभि॑रु॒त त्रा॑येथां सुत्रा॒त्रा । तु॒र्याम॒ दस्यू॑न् त॒नूभि॑: ॥३॥
मा कस्या॑द्भुतक्रतू य॒क्षं भु॑जेमा त॒नूभि॑: । मा शेष॑सा॒ मा तन॑सा ॥४॥