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SELECT SUKTA OF MANDALA 08
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 08 Sukta 080
A
A+
१० एकद्यूर्नौधस: । इन्द्र:, १० देवा: । गायत्री, १० त्रिष्टुप् ।
न॒ह्य१न्यं ब॒ळाक॑रं मर्डि॒तारं॑ शतक्रतो । त्वं न॑ इन्द्र मृळय ॥१॥
यो न॒: शश्व॑त्पु॒रावि॒थाऽमृ॑ध्रो॒ वाज॑सातये । स त्वं न॑ इन्द्र मृळय ॥२॥
किम॒ङ्ग र॑ध्र॒चोद॑नः सुन्वा॒नस्या॑वि॒तेद॑सि । कु॒वित्स्वि॑न्द्र ण॒: शक॑: ॥३॥
इन्द्र॒ प्र णो॒ रथ॑मव प॒श्चाच्चि॒त्सन्त॑मद्रिवः । पु॒रस्ता॑देनं मे कृधि ॥४॥
हन्तो॒ नु किमा॑ससे प्रथ॒मं नो॒ रथं॑ कृधि । उ॒प॒मं वा॑ज॒यु श्रव॑: ॥५॥
अवा॑ नो वाज॒युं रथं॑ सु॒करं॑ ते॒ किमित्परि॑ । अ॒स्मान्त्सु जि॒ग्युष॑स्कृधि ॥६॥
इन्द्र॒ दृह्य॑स्व॒ पूर॑सि भ॒द्रा त॑ एति निष्कृ॒तम् । इ॒यं धीॠ॒त्विया॑वती ॥७॥
मा सी॑मव॒द्य आ भा॑गु॒र्वी काष्ठा॑ हि॒तं धन॑म् । अ॒पावृ॑क्ता अर॒त्नय॑: ॥८॥
तु॒रीयं॒ नाम॑ य॒ज्ञियं॑ य॒दा कर॒स्तदु॑श्मसि । आदित्पति॑र्न ओहसे ॥९॥
अवी॑वृधद्वो अमृता॒ अम॑न्दीदेक॒द्यूर्दे॑वा उ॒त याश्च॑ देवीः ।
तस्मा॑ उ॒ राध॑: कृणुत प्रश॒स्तं प्रा॒तर्म॒क्षू धि॒याव॑सुर्जगम्यात् ॥१०॥
न॒ह्य१न्यं ब॒ळाक॑रं मर्डि॒तारं॑ शतक्रतो । त्वं न॑ इन्द्र मृळय ॥१॥
यो न॒: शश्व॑त्पु॒रावि॒थाऽमृ॑ध्रो॒ वाज॑सातये । स त्वं न॑ इन्द्र मृळय ॥२॥
किम॒ङ्ग र॑ध्र॒चोद॑नः सुन्वा॒नस्या॑वि॒तेद॑सि । कु॒वित्स्वि॑न्द्र ण॒: शक॑: ॥३॥
इन्द्र॒ प्र णो॒ रथ॑मव प॒श्चाच्चि॒त्सन्त॑मद्रिवः । पु॒रस्ता॑देनं मे कृधि ॥४॥
हन्तो॒ नु किमा॑ससे प्रथ॒मं नो॒ रथं॑ कृधि । उ॒प॒मं वा॑ज॒यु श्रव॑: ॥५॥
अवा॑ नो वाज॒युं रथं॑ सु॒करं॑ ते॒ किमित्परि॑ । अ॒स्मान्त्सु जि॒ग्युष॑स्कृधि ॥६॥
इन्द्र॒ दृह्य॑स्व॒ पूर॑सि भ॒द्रा त॑ एति निष्कृ॒तम् । इ॒यं धीॠ॒त्विया॑वती ॥७॥
मा सी॑मव॒द्य आ भा॑गु॒र्वी काष्ठा॑ हि॒तं धन॑म् । अ॒पावृ॑क्ता अर॒त्नय॑: ॥८॥
तु॒रीयं॒ नाम॑ य॒ज्ञियं॑ य॒दा कर॒स्तदु॑श्मसि । आदित्पति॑र्न ओहसे ॥९॥
अवी॑वृधद्वो अमृता॒ अम॑न्दीदेक॒द्यूर्दे॑वा उ॒त याश्च॑ देवीः ।
तस्मा॑ उ॒ राध॑: कृणुत प्रश॒स्तं प्रा॒तर्म॒क्षू धि॒याव॑सुर्जगम्यात् ॥१०॥