SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 08
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 08 Sukta 058
A
A+
३ मेध्य: काण्व:। विश्वे देवा:, १ ऋत्विजो वा । त्रिष्टुप् ।
यमृ॒त्विजो॑ बहु॒धा क॒ल्पय॑न्त॒: सचे॑तसो य॒ज्ञमि॒मं वह॑न्ति ।
यो अ॑नूचा॒नो ब्रा॑ह्म॒णो यु॒क्त आ॑सी॒त्का स्वि॒त्तत्र॒ यज॑मानस्य सं॒वित् ॥१॥
एक॑ ए॒वाग्निर्ब॑हु॒धा समि॑द्ध॒ एक॒: सूर्यो॒ विश्व॒मनु॒ प्रभू॑तः ।
एकै॒वोषाः सर्व॑मि॒दं वि भा॒त्येकं॒ वा इ॒दं वि ब॑भूव॒ सर्व॑म् ॥२॥
ज्योति॑ष्मन्तं केतु॒मन्तं॑ त्रिच॒क्रं सु॒खं रथं॑ सु॒षदं॒ भूरि॑वारम् ।
चि॒त्राम॑घा॒ यस्य॒ योगे॑ऽधिजज्ञे॒ तं वां॑ हु॒वे अति॑ रिक्तं॒ पिब॑ध्यै ॥३॥
यमृ॒त्विजो॑ बहु॒धा क॒ल्पय॑न्त॒: सचे॑तसो य॒ज्ञमि॒मं वह॑न्ति ।
यो अ॑नूचा॒नो ब्रा॑ह्म॒णो यु॒क्त आ॑सी॒त्का स्वि॒त्तत्र॒ यज॑मानस्य सं॒वित् ॥१॥
एक॑ ए॒वाग्निर्ब॑हु॒धा समि॑द्ध॒ एक॒: सूर्यो॒ विश्व॒मनु॒ प्रभू॑तः ।
एकै॒वोषाः सर्व॑मि॒दं वि भा॒त्येकं॒ वा इ॒दं वि ब॑भूव॒ सर्व॑म् ॥२॥
ज्योति॑ष्मन्तं केतु॒मन्तं॑ त्रिच॒क्रं सु॒खं रथं॑ सु॒षदं॒ भूरि॑वारम् ।
चि॒त्राम॑घा॒ यस्य॒ योगे॑ऽधिजज्ञे॒ तं वां॑ हु॒वे अति॑ रिक्तं॒ पिब॑ध्यै ॥३॥