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SELECT SUKTA OF MANDALA 08
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 08 Sukta 089
A
A+
७ नृमेध-पुरुमेधावाङ्गिरसौ । इन्द्र: । १-४ प्रगाथ: = ( विषमा बृहती, समा सतोबृहती ) । ५-६ अनुष्टुप्
बृ॒हदिन्द्रा॑य गायत॒ मरु॑तो वृत्र॒हन्त॑मम् । येन॒ ज्योति॒रज॑नयन्नृता॒वृधो॑ दे॒वं दे॒वाय॒ जागृ॑वि ॥१॥
अपा॑धमद॒भिश॑स्तीरशस्ति॒हाऽथेन्द्रो॑ द्यु॒म्न्याभ॑वत् । दे॒वास्त॑ इन्द्र स॒ख्याय॑ येमिरे॒ बृह॑द्भानो॒ मरु॑द्गण ॥२॥
प्र व॒ इन्द्रा॑य बृह॒ते मरु॑तो॒ ब्रह्मा॑र्चत । वृ॒त्रं ह॑नति वृत्र॒हा श॒तक्र॑तु॒र्वज्रे॑ण श॒तप॑र्वणा ॥३॥
अ॒भि प्र भ॑र धृष॒ता धृ॑षन्मन॒: श्रव॑श्चित्ते असद्बृ॒हत् । अर्ष॒न्त्वापो॒ जव॑सा॒ वि मा॒तरो॒ हनो॑ वृ॒त्रं जया॒ स्व॑: ॥४॥
यज्जाय॑था अपूर्व्य॒ मघ॑वन्वृत्र॒हत्या॑य । तत्पृ॑थि॒वीम॑प्रथय॒स्तद॑स्तभ्ना उ॒त द्याम् ॥५॥
तत्ते॑ य॒ज्ञो अ॑जायत॒ तद॒र्क उ॒त हस्कृ॑तिः । तद्विश्व॑मभि॒भूर॑सि॒ यज्जा॒तं यच्च॒ जन्त्व॑म् ॥६॥
आ॒मासु॑ प॒क्वमैर॑य॒ आ सूर्यं॑ रोहयो दि॒वि । घ॒र्मं न साम॑न्तपता सुवृ॒क्तिभि॒र्जुष्टं॒ गिर्व॑णसे बृ॒हत् ॥७॥
बृ॒हदिन्द्रा॑य गायत॒ मरु॑तो वृत्र॒हन्त॑मम् । येन॒ ज्योति॒रज॑नयन्नृता॒वृधो॑ दे॒वं दे॒वाय॒ जागृ॑वि ॥१॥
अपा॑धमद॒भिश॑स्तीरशस्ति॒हाऽथेन्द्रो॑ द्यु॒म्न्याभ॑वत् । दे॒वास्त॑ इन्द्र स॒ख्याय॑ येमिरे॒ बृह॑द्भानो॒ मरु॑द्गण ॥२॥
प्र व॒ इन्द्रा॑य बृह॒ते मरु॑तो॒ ब्रह्मा॑र्चत । वृ॒त्रं ह॑नति वृत्र॒हा श॒तक्र॑तु॒र्वज्रे॑ण श॒तप॑र्वणा ॥३॥
अ॒भि प्र भ॑र धृष॒ता धृ॑षन्मन॒: श्रव॑श्चित्ते असद्बृ॒हत् । अर्ष॒न्त्वापो॒ जव॑सा॒ वि मा॒तरो॒ हनो॑ वृ॒त्रं जया॒ स्व॑: ॥४॥
यज्जाय॑था अपूर्व्य॒ मघ॑वन्वृत्र॒हत्या॑य । तत्पृ॑थि॒वीम॑प्रथय॒स्तद॑स्तभ्ना उ॒त द्याम् ॥५॥
तत्ते॑ य॒ज्ञो अ॑जायत॒ तद॒र्क उ॒त हस्कृ॑तिः । तद्विश्व॑मभि॒भूर॑सि॒ यज्जा॒तं यच्च॒ जन्त्व॑म् ॥६॥
आ॒मासु॑ प॒क्वमैर॑य॒ आ सूर्यं॑ रोहयो दि॒वि । घ॒र्मं न साम॑न्तपता सुवृ॒क्तिभि॒र्जुष्टं॒ गिर्व॑णसे बृ॒हत् ॥७॥