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SELECT SUKTA OF MANDALA 08
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 08 Sukta 086
A
A+
५ कृष्ण आङ्गिरस:, विश्वको वा कार्षि्ण:। अश्विनौ । जगती ।
उ॒भा हि द॒स्रा भि॒षजा॑ मयो॒भुवो॒भा दक्ष॑स्य॒ वच॑सो बभू॒वथु॑: ।
ता वां॒ विश्व॑को हवते तनूकृ॒थे मा नो॒ वि यौ॑ष्टं स॒ख्या मु॒मोच॑तम् ॥१॥
क॒था नू॒नं वां॒ विम॑ना॒ उप॑ स्तवद्यु॒वं धियं॑ ददथु॒र्वस्य॑इष्टये ।
ता वां॒ विश्व॑को हवते तनूकृ॒थे मा नो॒ वि यौ॑ष्टं स॒ख्या मु॒मोच॑तम् ॥२॥
यु॒वं हि ष्मा॑ पुरुभुजे॒ममे॑ध॒तुं वि॑ष्णा॒प्वे॑ द॒दथु॒र्वस्य॑इष्टये ।
ता वां॒ विश्व॑को हवते तनूकृ॒थे मा नो॒ वि यौ॑ष्टं स॒ख्या मु॒मोच॑तम् ॥३॥
उ॒त त्यं वी॒रं ध॑न॒सामृ॑जी॒षिणं॑ दू॒रे चि॒त्सन्त॒मव॑से हवामहे ।
यस्य॒ स्वादि॑ष्ठा सुम॒तिः पि॒तुर्य॑था॒ मा नो॒ वि यौ॑ष्टं स॒ख्या मु॒मोच॑तम् ॥४॥
ऋ॒तेन॑ दे॒वः स॑वि॒ता श॑मायत ऋ॒तस्य॒ शृङ्ग॑मुर्वि॒या वि प॑प्रथे ।
ऋ॒तं सा॑साह॒ महि॑ चित्पृतन्य॒तो मा नो॒ वि यौ॑ष्टं स॒ख्या मु॒मोच॑तम् ॥५॥
उ॒भा हि द॒स्रा भि॒षजा॑ मयो॒भुवो॒भा दक्ष॑स्य॒ वच॑सो बभू॒वथु॑: ।
ता वां॒ विश्व॑को हवते तनूकृ॒थे मा नो॒ वि यौ॑ष्टं स॒ख्या मु॒मोच॑तम् ॥१॥
क॒था नू॒नं वां॒ विम॑ना॒ उप॑ स्तवद्यु॒वं धियं॑ ददथु॒र्वस्य॑इष्टये ।
ता वां॒ विश्व॑को हवते तनूकृ॒थे मा नो॒ वि यौ॑ष्टं स॒ख्या मु॒मोच॑तम् ॥२॥
यु॒वं हि ष्मा॑ पुरुभुजे॒ममे॑ध॒तुं वि॑ष्णा॒प्वे॑ द॒दथु॒र्वस्य॑इष्टये ।
ता वां॒ विश्व॑को हवते तनूकृ॒थे मा नो॒ वि यौ॑ष्टं स॒ख्या मु॒मोच॑तम् ॥३॥
उ॒त त्यं वी॒रं ध॑न॒सामृ॑जी॒षिणं॑ दू॒रे चि॒त्सन्त॒मव॑से हवामहे ।
यस्य॒ स्वादि॑ष्ठा सुम॒तिः पि॒तुर्य॑था॒ मा नो॒ वि यौ॑ष्टं स॒ख्या मु॒मोच॑तम् ॥४॥
ऋ॒तेन॑ दे॒वः स॑वि॒ता श॑मायत ऋ॒तस्य॒ शृङ्ग॑मुर्वि॒या वि प॑प्रथे ।
ऋ॒तं सा॑साह॒ महि॑ चित्पृतन्य॒तो मा नो॒ वि यौ॑ष्टं स॒ख्या मु॒मोच॑तम् ॥५॥