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SELECT SUKTA OF KANDA 15

Atharvaveda Shaunaka Samhita – Kanda 15 Sukta 009

By Dr. Sachchidanand Pathak, U.P. Sanskrit Sansthan, Lucknow, India.

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१-३ अथर्वा। अध्यात्मं, व्रात्यः।१ आसुरी जगती, २ आर्ची गायत्री, ३ आर्ची पङ्क्तिः।

स विशोऽनु॒ व्यऽचलत्॥१॥
तं स॒भा च॒ समि॑तिश्च॒ सेना॑ च॒ शुरा॑ चानु॒व्यऽचलन्॥२॥
स॒भाया॑श्च॒ वै स समि॑तेश्च॒ सेना॑याश्च॒ सुरा॑याश्च॒ प्रि॒यं धाम॑ भवति॒ य ए॒वं वेद॑ ॥३॥