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SELECT SUKTA OF MANDALA 07
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 07 Sukta 095
A
A+
६ मैत्रावरुणिर्वसिष्ठ:। सरस्वती , ३ सरस्वान् । त्रिष्टुप् ।
प्र क्षोद॑सा॒ धाय॑सा सस्र ए॒षा सर॑स्वती ध॒रुण॒माय॑सी॒ पूः ।
प्र॒बाब॑धाना र॒थ्ये॑व याति॒ विश्वा॑ अ॒पो म॑हि॒ना सिन्धु॑र॒न्याः ॥१॥
एका॑चेत॒त्सर॑स्वती न॒दीनां॒ शुचि॑र्य॒ती गि॒रिभ्य॒ आ स॑मु॒द्रात् ।
रा॒यश्चेत॑न्ती॒ भुव॑नस्य॒ भूरे॑र्घृ॒तं पयो॑ दुदुहे॒ नाहु॑षाय ॥२॥
स वा॑वृधे॒ नर्यो॒ योष॑णासु॒ वृषा॒ शिशु॑र्वृष॒भो य॒ज्ञिया॑सु ।
स वा॒जिनं॑ म॒घव॑द्भ्यो दधाति॒ वि सा॒तये॑ त॒न्वं॑ मामृजीत ॥३॥
उ॒त स्या न॒: सर॑स्वती जुषा॒णोप॑ श्रवत्सु॒भगा॑ य॒ज्णे अ॒स्मिन् ।
मि॒तज्ञु॑भिर्नम॒स्यै॑रिया॒ना रा॒या यु॒जा चि॒दुत्त॑रा॒ सखि॑भ्यः ॥४॥
इ॒मा जुह्वा॑ना यु॒ष्मदा नमो॑भि॒: प्रति॒ स्तोमं॑ सरस्वति जुषस्व ।
तव॒ शर्म॑न्प्रि॒यत॑मे॒ दधा॑ना॒ उप॑ स्थेयाम शर॒णं न वृ॒क्षम् ॥५॥
अ॒यमु॑ ते सरस्वति॒ वसि॑ष्ठो॒ द्वारा॑वृ॒तस्य॑ सुभगे॒ व्या॑वः ।
वर्ध॑ शुभ्रे स्तुव॒ते रा॑सि॒ वाजा॑न्यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभि॒: सदा॑ नः ॥६॥
प्र क्षोद॑सा॒ धाय॑सा सस्र ए॒षा सर॑स्वती ध॒रुण॒माय॑सी॒ पूः ।
प्र॒बाब॑धाना र॒थ्ये॑व याति॒ विश्वा॑ अ॒पो म॑हि॒ना सिन्धु॑र॒न्याः ॥१॥
एका॑चेत॒त्सर॑स्वती न॒दीनां॒ शुचि॑र्य॒ती गि॒रिभ्य॒ आ स॑मु॒द्रात् ।
रा॒यश्चेत॑न्ती॒ भुव॑नस्य॒ भूरे॑र्घृ॒तं पयो॑ दुदुहे॒ नाहु॑षाय ॥२॥
स वा॑वृधे॒ नर्यो॒ योष॑णासु॒ वृषा॒ शिशु॑र्वृष॒भो य॒ज्ञिया॑सु ।
स वा॒जिनं॑ म॒घव॑द्भ्यो दधाति॒ वि सा॒तये॑ त॒न्वं॑ मामृजीत ॥३॥
उ॒त स्या न॒: सर॑स्वती जुषा॒णोप॑ श्रवत्सु॒भगा॑ य॒ज्णे अ॒स्मिन् ।
मि॒तज्ञु॑भिर्नम॒स्यै॑रिया॒ना रा॒या यु॒जा चि॒दुत्त॑रा॒ सखि॑भ्यः ॥४॥
इ॒मा जुह्वा॑ना यु॒ष्मदा नमो॑भि॒: प्रति॒ स्तोमं॑ सरस्वति जुषस्व ।
तव॒ शर्म॑न्प्रि॒यत॑मे॒ दधा॑ना॒ उप॑ स्थेयाम शर॒णं न वृ॒क्षम् ॥५॥
अ॒यमु॑ ते सरस्वति॒ वसि॑ष्ठो॒ द्वारा॑वृ॒तस्य॑ सुभगे॒ व्या॑वः ।
वर्ध॑ शुभ्रे स्तुव॒ते रा॑सि॒ वाजा॑न्यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभि॒: सदा॑ नः ॥६॥