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SELECT SUKTA OF MANDALA 07
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 07 Sukta 028
A
A+
५ मैत्रावरुणिर्वसिष्ठ:। इन्द्र: । त्रिष्टुप् ।
ब्रह्मा॑ ण इ॒न्द्रोप॑ याहि वि॒द्वान॒र्वाञ्च॑स्ते॒ हर॑यः सन्तु यु॒क्ताः ।
विश्वे॑ चि॒द्धि त्वा॑ वि॒हव॑न्त॒ मर्ता॑ अ॒स्माक॒मिच्छृ॑णुहि विश्वमिन्व ॥१॥
हवं॑ त इन्द्र महि॒मा व्या॑न॒ड्ब्रह्म॒ यत्पासि॑ शवसि॒न्नृषी॑णाम् ।
आ यद्वज्रं॑ दधि॒षे हस्त॑ उग्र घो॒रः सन्क्रत्वा॑ जनिष्ठा॒ अषा॑ळ्हः ॥२॥
तव॒ प्रणी॑तीन्द्र॒ जोहु॑वाना॒न्त्सं यन्नॄन्न रोद॑सी नि॒नेथ॑ ।
म॒हे क्ष॒त्राय॒ शव॑से॒ हि ज॒ज्ञेऽतू॑तुजिं चि॒त्तूतु॑जिरशिश्नत् ॥३॥
ए॒भिर्न॑ इ॒न्द्राह॑भिर्दशस्य दुर्मि॒त्रासो॒ हि क्षि॒तय॒: पव॑न्ते ।
प्रति॒ यच्चष्टे॒ अनृ॑तमने॒ना अव॑ द्वि॒ता वरु॑णो मा॒यी न॑: सात् ॥४॥
वो॒चेमेदिन्द्रं॑ म॒घवा॑नमेनं म॒हो रा॒यो राध॑सो॒ यद्दद॑न्नः ।
यो अर्च॑तो॒ ब्रह्म॑कृति॒मवि॑ष्ठो यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभि॒: सदा॑ नः ॥५॥
ब्रह्मा॑ ण इ॒न्द्रोप॑ याहि वि॒द्वान॒र्वाञ्च॑स्ते॒ हर॑यः सन्तु यु॒क्ताः ।
विश्वे॑ चि॒द्धि त्वा॑ वि॒हव॑न्त॒ मर्ता॑ अ॒स्माक॒मिच्छृ॑णुहि विश्वमिन्व ॥१॥
हवं॑ त इन्द्र महि॒मा व्या॑न॒ड्ब्रह्म॒ यत्पासि॑ शवसि॒न्नृषी॑णाम् ।
आ यद्वज्रं॑ दधि॒षे हस्त॑ उग्र घो॒रः सन्क्रत्वा॑ जनिष्ठा॒ अषा॑ळ्हः ॥२॥
तव॒ प्रणी॑तीन्द्र॒ जोहु॑वाना॒न्त्सं यन्नॄन्न रोद॑सी नि॒नेथ॑ ।
म॒हे क्ष॒त्राय॒ शव॑से॒ हि ज॒ज्ञेऽतू॑तुजिं चि॒त्तूतु॑जिरशिश्नत् ॥३॥
ए॒भिर्न॑ इ॒न्द्राह॑भिर्दशस्य दुर्मि॒त्रासो॒ हि क्षि॒तय॒: पव॑न्ते ।
प्रति॒ यच्चष्टे॒ अनृ॑तमने॒ना अव॑ द्वि॒ता वरु॑णो मा॒यी न॑: सात् ॥४॥
वो॒चेमेदिन्द्रं॑ म॒घवा॑नमेनं म॒हो रा॒यो राध॑सो॒ यद्दद॑न्नः ।
यो अर्च॑तो॒ ब्रह्म॑कृति॒मवि॑ष्ठो यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभि॒: सदा॑ नः ॥५॥