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SELECT SUKTA OF MANDALA 07
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 07 Sukta 012
A
A+
३ मैत्रावरुणिर्वसिष्ठ:। अग्नि: । त्रिष्टुप् ।
अग॑न्म म॒हा नम॑सा॒ यवि॑ष्ठं॒ यो दी॒दाय॒ समि॑द्ध॒: स्वे दु॑रो॒णे ।
चि॒त्रभा॑नुं॒ रोद॑सी अ॒न्तरु॒र्वी स्वा॑हुतं वि॒श्वत॑: प्र॒त्यञ्च॑म् ॥१॥
स म॒ह्ना विश्वा॑ दुरि॒तानि॑ सा॒ह्वान॒ग्निः ष्ट॑वे॒ दम॒ आ जा॒तवे॑दाः ।
स नो॑ रक्षिषद्दुरि॒ताद॑व॒द्याद॒स्मान्गृ॑ण॒त उ॒त नो॑ म॒घोन॑: ॥२॥
त्वं वरु॑ण उ॒त मि॒त्रो अ॑ग्ने॒ त्वां व॑र्धन्ति म॒तिभि॒र्वसि॑ष्ठाः ।
त्वे वसु॑ सुषण॒नानि॑ सन्तु यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभि॒: सदा॑ नः ॥३॥
अग॑न्म म॒हा नम॑सा॒ यवि॑ष्ठं॒ यो दी॒दाय॒ समि॑द्ध॒: स्वे दु॑रो॒णे ।
चि॒त्रभा॑नुं॒ रोद॑सी अ॒न्तरु॒र्वी स्वा॑हुतं वि॒श्वत॑: प्र॒त्यञ्च॑म् ॥१॥
स म॒ह्ना विश्वा॑ दुरि॒तानि॑ सा॒ह्वान॒ग्निः ष्ट॑वे॒ दम॒ आ जा॒तवे॑दाः ।
स नो॑ रक्षिषद्दुरि॒ताद॑व॒द्याद॒स्मान्गृ॑ण॒त उ॒त नो॑ म॒घोन॑: ॥२॥
त्वं वरु॑ण उ॒त मि॒त्रो अ॑ग्ने॒ त्वां व॑र्धन्ति म॒तिभि॒र्वसि॑ष्ठाः ।
त्वे वसु॑ सुषण॒नानि॑ सन्तु यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभि॒: सदा॑ नः ॥३॥