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SELECT SUKTA OF MANDALA 07
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 07 Sukta 046
A
A+
४ मैत्रावरुणिर्वसिष्ठ:।रूद्र:। जगती, ४ त्रिष्टुप् ।
इ॒मा रु॒द्राय॑ स्थि॒रध॑न्वने॒ गिर॑: क्षि॒प्रेष॑वे दे॒वाय॑ स्व॒धाव्ने॑ ।
अषा॑ळ्हाय॒ सह॑मानाय वे॒धसे॑ ति॒ग्मायु॑धाय भरता शृ॒णोतु॑ नः ॥१॥
स हि क्षये॑ण॒ क्षम्य॑स्य॒ जन्म॑न॒: साम्रा॑ज्येन दि॒व्यस्य॒ चेत॑ति ।
अव॒न्नव॑न्ती॒रुप॑ नो॒ दुर॑श्चरानमी॒वो रु॑द्र॒ जासु॑ नो भव ॥२॥
या ते॑ दि॒द्युदव॑सृष्टा दि॒वस्परि॑ क्ष्म॒या चर॑ति॒ परि॒ सा वृ॑णक्तु नः ।
स॒हस्रं॑ ते स्वपिवात भेष॒जा मा न॑स्तो॒केषु॒ तन॑येषु रीरिषः ॥३॥
मा नो॑ वधी रुद्र॒ मा परा॑ दा॒ मा ते॑ भूम॒ प्रसि॑तौ हीळि॒तस्य॑ ।
आ नो॑ भज ब॒र्हिषि॑ जीवशं॒से यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभि॒: सदा॑ नः ॥४॥
इ॒मा रु॒द्राय॑ स्थि॒रध॑न्वने॒ गिर॑: क्षि॒प्रेष॑वे दे॒वाय॑ स्व॒धाव्ने॑ ।
अषा॑ळ्हाय॒ सह॑मानाय वे॒धसे॑ ति॒ग्मायु॑धाय भरता शृ॒णोतु॑ नः ॥१॥
स हि क्षये॑ण॒ क्षम्य॑स्य॒ जन्म॑न॒: साम्रा॑ज्येन दि॒व्यस्य॒ चेत॑ति ।
अव॒न्नव॑न्ती॒रुप॑ नो॒ दुर॑श्चरानमी॒वो रु॑द्र॒ जासु॑ नो भव ॥२॥
या ते॑ दि॒द्युदव॑सृष्टा दि॒वस्परि॑ क्ष्म॒या चर॑ति॒ परि॒ सा वृ॑णक्तु नः ।
स॒हस्रं॑ ते स्वपिवात भेष॒जा मा न॑स्तो॒केषु॒ तन॑येषु रीरिषः ॥३॥
मा नो॑ वधी रुद्र॒ मा परा॑ दा॒ मा ते॑ भूम॒ प्रसि॑तौ हीळि॒तस्य॑ ।
आ नो॑ भज ब॒र्हिषि॑ जीवशं॒से यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभि॒: सदा॑ नः ॥४॥