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SELECT SUKTA OF MANDALA 07
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 07 Sukta 053
A
A+
३ मैत्रावरुणिर्वसिष्ठ:। द्यावापृथिवी।त्रिष्टुप् ।
प्र द्यावा॑ य॒ज्ञैः पृ॑थि॒वी नमो॑भिः स॒बाध॑ ईळे बृह॒ती यज॑त्रे ।
ते चि॒द्धि पूर्वे॑ क॒वयो॑ गृ॒णन्त॑: पु॒रो म॒ही द॑धि॒रे दे॒वपु॑त्रे ॥१॥
प्र पू॑र्व॒जे पि॒तरा॒ नव्य॑सीभिर्गी॒र्भिः कृ॑णुध्वं॒ सद॑ने ऋ॒तस्य॑ ।
आ नो॑ द्यावापृथिवी॒ दैव्ये॑न॒ जने॑न यातं॒ महि॑ वां॒ वरू॑थम् ॥२॥
उ॒तो हि वां॑ रत्न॒धेया॑नि॒ सन्ति॑ पु॒रूणि॑ द्यावापृथिवी सु॒दासे॑ ।
अ॒स्मे ध॑त्तं॒ यदस॒दस्कृ॑धोयु यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभि॒: सदा॑ नः ॥३॥
प्र द्यावा॑ य॒ज्ञैः पृ॑थि॒वी नमो॑भिः स॒बाध॑ ईळे बृह॒ती यज॑त्रे ।
ते चि॒द्धि पूर्वे॑ क॒वयो॑ गृ॒णन्त॑: पु॒रो म॒ही द॑धि॒रे दे॒वपु॑त्रे ॥१॥
प्र पू॑र्व॒जे पि॒तरा॒ नव्य॑सीभिर्गी॒र्भिः कृ॑णुध्वं॒ सद॑ने ऋ॒तस्य॑ ।
आ नो॑ द्यावापृथिवी॒ दैव्ये॑न॒ जने॑न यातं॒ महि॑ वां॒ वरू॑थम् ॥२॥
उ॒तो हि वां॑ रत्न॒धेया॑नि॒ सन्ति॑ पु॒रूणि॑ द्यावापृथिवी सु॒दासे॑ ।
अ॒स्मे ध॑त्तं॒ यदस॒दस्कृ॑धोयु यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभि॒: सदा॑ नः ॥३॥