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SELECT SUKTA OF MANDALA 07
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 07 Sukta 071
A
A+
६ मैत्रावरुणिर्वसिष्ठ:। अश्विनौ । त्रिष्टुप् ।
अप॒ स्वसु॑रु॒षसो॒ नग्जि॑हीते रि॒णक्ति॑ कृ॒ष्णीर॑रु॒षाय॒ पन्था॑म् ।
अश्वा॑मघा॒ गोम॑घा वां हुवेम॒ दिवा॒ नक्तं॒ शरु॑म॒स्मद्यु॑योतम् ॥१॥
उ॒पाया॑तं दा॒शुषे॒ मर्त्या॑य॒ रथे॑न वा॒मम॑श्विना॒ वह॑न्ता ।
यु॒यु॒तम॒स्मदनि॑रा॒ममी॑वां॒ दिवा॒ नक्तं॑ माध्वी॒ त्रासी॑थां नः ॥२॥
आ वां॒ रथ॑मव॒मस्यां॒ व्यु॑ष्टौ सुम्ना॒यवो॒ वृष॑णो वर्तयन्तु ।
स्यूम॑गभस्तिमृत॒युग्भि॒रश्वै॒राश्वि॑ना॒ वसु॑मन्तं वहेथाम् ॥३॥
यो वां॒ रथो॑ नृपती॒ अस्ति॑ वो॒ळ्हा त्रि॑वन्धु॒रो वसु॑माँ उ॒स्रया॑मा ।
आ न॑ ए॒ना ना॑स॒त्योप॑ यातम॒भि यद्वां॑ वि॒श्वप्स्न्यो॒ जिगा॑ति ॥४॥
यु॒वं च्यवा॑नं ज॒रसो॑ऽमुमुक्तं॒ नि पे॒दव॑ ऊहथुरा॒शुमश्व॑म् ।
निरंह॑स॒स्तम॑सः स्पर्त॒मत्रिं॒ नि जा॑हु॒षं शि॑थि॒रे धा॑तम॒न्तः ॥५॥
इ॒यं म॑नी॒षा इ॒यम॑श्विना॒ गीरि॒मां सु॑वृ॒क्तिं वृ॑षणा जुषेथाम् ।
इ॒मा ब्रह्मा॑णि युव॒यून्य॑ग्मन्यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभि॒: सदा॑ नः ॥६॥
अप॒ स्वसु॑रु॒षसो॒ नग्जि॑हीते रि॒णक्ति॑ कृ॒ष्णीर॑रु॒षाय॒ पन्था॑म् ।
अश्वा॑मघा॒ गोम॑घा वां हुवेम॒ दिवा॒ नक्तं॒ शरु॑म॒स्मद्यु॑योतम् ॥१॥
उ॒पाया॑तं दा॒शुषे॒ मर्त्या॑य॒ रथे॑न वा॒मम॑श्विना॒ वह॑न्ता ।
यु॒यु॒तम॒स्मदनि॑रा॒ममी॑वां॒ दिवा॒ नक्तं॑ माध्वी॒ त्रासी॑थां नः ॥२॥
आ वां॒ रथ॑मव॒मस्यां॒ व्यु॑ष्टौ सुम्ना॒यवो॒ वृष॑णो वर्तयन्तु ।
स्यूम॑गभस्तिमृत॒युग्भि॒रश्वै॒राश्वि॑ना॒ वसु॑मन्तं वहेथाम् ॥३॥
यो वां॒ रथो॑ नृपती॒ अस्ति॑ वो॒ळ्हा त्रि॑वन्धु॒रो वसु॑माँ उ॒स्रया॑मा ।
आ न॑ ए॒ना ना॑स॒त्योप॑ यातम॒भि यद्वां॑ वि॒श्वप्स्न्यो॒ जिगा॑ति ॥४॥
यु॒वं च्यवा॑नं ज॒रसो॑ऽमुमुक्तं॒ नि पे॒दव॑ ऊहथुरा॒शुमश्व॑म् ।
निरंह॑स॒स्तम॑सः स्पर्त॒मत्रिं॒ नि जा॑हु॒षं शि॑थि॒रे धा॑तम॒न्तः ॥५॥
इ॒यं म॑नी॒षा इ॒यम॑श्विना॒ गीरि॒मां सु॑वृ॒क्तिं वृ॑षणा जुषेथाम् ।
इ॒मा ब्रह्मा॑णि युव॒यून्य॑ग्मन्यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभि॒: सदा॑ नः ॥६॥