SELECT KANDA
SELECT SUKTA OF KANDA 13
Atharvaveda Shaunaka Samhita – Kanda 13 Sukta 007
By Dr. Sachchidanand Pathak, U.P. Sanskrit Sansthan, Lucknow, India.
अध्यात्मम्।
२९, ३३, ३९-४०, ४५ आसुरी गायत्री, ३०, ३२,३५-३६, ४२ प्राजापत्याऽनुष्टुप्, ३१ विराट् गायत्री, ३४ साम्नी उष्णिक्, ३७-३८ साम्नी उष्णिगनुष्टुप्, ४१ साम्नी बृहती, ४३ आर्षी गायत्री, ४४ साम्नी अनुष्टुप्।
स वा अह्नो॑ऽजायत॒ तस्मा॒दह॑रजायत ॥२९॥
स वै रात्र्या॑ अजायत॒ तस्मा॒द् रात्रि॑रजायत ॥३०॥
स वा अ॒न्तरि॑क्षादजायत॒ तस्मा॑द॒न्तरि॑क्षमजायत ॥३१॥
स वै वा॒योर॑जायत॒ तस्मा॑द् वा॒युर॑जायत ॥३२॥
स वै दि॒वोऽजायत॒ तस्मा॒द् द्यौरध्य॑जायत ॥३३॥
स वै दि॒ग्भ्योऽजायत॒ तस्मा॒द् दिशोऽजायन्त ॥३४॥
स वै भूमे॑रजायत॒ तस्मा॒द् भूमि॑रजायत ॥३५॥
स वा अ॒ग्नेर॑जायत॒ तस्मा॑द॒ग्निर॑जायत ॥३६॥
स वा अ॒द्भ्योऽजायत॒ तस्मा॒दापो॑ऽजायन्त ॥३७॥
स वा ऋ॒ग्भ्योऽजायत॒ तस्मा॒दृचो॑ऽजायन्त ॥३८॥
स वै य॒ज्ञाद॑जायत॒ तस्मा॑द् य॒ज्ञोऽजायत ॥३९॥
स य॒ज्ञस्तस्य॑ य॒ज्ञः स य॒ज्ञस्य॒ शिर॑स्कृ॒तम्॥४०॥
स स्त॑नयति॒ स वि द्यो॑तते॒ स उ॒ अश्मा॑नमस्यति ॥४१॥
पा॒पाय॑ वा भ॒द्राय॑ वा पुरु॑षा॒यासु॑राय वा ॥४२॥
यद् वा॑ कृ॒णोष्योष॑धी॒र्यद् वा॒ वर्ष॑सि भ॒द्रया॒ यद् वा॑ ज॒न्यमवी॑वृधः ॥४३॥
तावां॑स्ते मघवन् महि॒मोपो॑ ते त॒न्वः श॒तम्॥४४॥
उपो॑ ते॒ बध्वे॒ बद्धा॑नि॒ यदि॒ वासि॒ न्यर्बुदम्॥४५॥