SELECT MANDALA
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 01 Sukta 111
A
A+
५ कुत्स आङ्गिरसः। ऋभवः।जगती, ५ त्रिष्टुप्।
तक्ष॒न् रथं॑ सु॒वृतं॑ विद्म॒नाप॑स॒स्तक्ष॒न् हरी॑ इन्द्र॒वाहा॒ वृष॑ण्वसू ।
तक्ष॑न् पि॒तृभ्या॑मृ॒भवो॒ युव॒द् वय॒स्तक्ष॑न् व॒त्साय॑ मा॒तरं॑ सचा॒भुव॑म् ॥१॥
आ नो॑ य॒ज्ञाय॑ तक्षत ऋभु॒मद्वय॒: क्रत्वे॒ दक्षा॑य सुप्र॒जाव॑ती॒मिष॑म् ।
यथा॒ क्षया॑म॒ सर्व॑वीरया वि॒शा तन्न॒: शर्धा॑य धासथा॒ स्वि॑न्द्रि॒यम् ॥२॥
आ त॑क्षत सा॒तिम॒स्मभ्य॑मृभवः सा॒तिं रथा॑य सा॒तिमर्व॑ते नरः ।
सा॒तिं नो॒ जैत्रीं॒ सं म॑हेत वि॒श्वहा॑ जा॒मिमजा॑मिं॒ पृत॑नासु स॒क्षणि॑म् ॥३॥
ऋ॒भु॒क्षण॒मिन्द्र॒मा हु॑व ऊ॒तय॑ ऋ॒भून् वाजा॑न् म॒रुत॒: सोम॑पीतये ।
उ॒भा मि॒त्रावरु॑णा नू॒नम॒श्विना॒ ते नो॑ हिन्वन्तु सा॒तये॑ धि॒ये जि॒षे ॥४॥
ऋ॒भुर्भरा॑य॒ सं शि॑शातु सा॒तिं स॑मर्य॒जिद्वाजो॑ अ॒स्माँ अ॑विष्टु ।
तन्नो॑ मि॒त्रो वरु॑णो मामहन्ता॒मदि॑ति॒: सिन्धु॑: पृथि॒वी उ॒त द्यौः ॥५॥
तक्ष॒न् रथं॑ सु॒वृतं॑ विद्म॒नाप॑स॒स्तक्ष॒न् हरी॑ इन्द्र॒वाहा॒ वृष॑ण्वसू ।
तक्ष॑न् पि॒तृभ्या॑मृ॒भवो॒ युव॒द् वय॒स्तक्ष॑न् व॒त्साय॑ मा॒तरं॑ सचा॒भुव॑म् ॥१॥
आ नो॑ य॒ज्ञाय॑ तक्षत ऋभु॒मद्वय॒: क्रत्वे॒ दक्षा॑य सुप्र॒जाव॑ती॒मिष॑म् ।
यथा॒ क्षया॑म॒ सर्व॑वीरया वि॒शा तन्न॒: शर्धा॑य धासथा॒ स्वि॑न्द्रि॒यम् ॥२॥
आ त॑क्षत सा॒तिम॒स्मभ्य॑मृभवः सा॒तिं रथा॑य सा॒तिमर्व॑ते नरः ।
सा॒तिं नो॒ जैत्रीं॒ सं म॑हेत वि॒श्वहा॑ जा॒मिमजा॑मिं॒ पृत॑नासु स॒क्षणि॑म् ॥३॥
ऋ॒भु॒क्षण॒मिन्द्र॒मा हु॑व ऊ॒तय॑ ऋ॒भून् वाजा॑न् म॒रुत॒: सोम॑पीतये ।
उ॒भा मि॒त्रावरु॑णा नू॒नम॒श्विना॒ ते नो॑ हिन्वन्तु सा॒तये॑ धि॒ये जि॒षे ॥४॥
ऋ॒भुर्भरा॑य॒ सं शि॑शातु सा॒तिं स॑मर्य॒जिद्वाजो॑ अ॒स्माँ अ॑विष्टु ।
तन्नो॑ मि॒त्रो वरु॑णो मामहन्ता॒मदि॑ति॒: सिन्धु॑: पृथि॒वी उ॒त द्यौः ॥५॥