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SELECT SUKTA OF MANDALA 07
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 07 Sukta 073
A
A+
५ मैत्रावरुणिर्वसिष्ठ:। अश्विनौ । त्रिष्टुप् ।
अता॑रिष्म॒ तम॑सस्पा॒रम॒स्य प्रति॒ स्तोमं॑ देव॒यन्तो॒ दधा॑नाः ।
पु॒रु॒दंसा॑ पुरु॒तमा॑ पुरा॒जाऽम॑र्त्या हवते अ॒श्विना॒ गीः ॥१॥
न्यु॑ प्रि॒यो मनु॑षः सादि॒ होता॒ नास॑त्या॒ यो यज॑ते॒ वन्द॑ते च ।
अ॒श्नी॒तं मध्वो॑ अश्विना उपा॒क आ वां॑ वोचे वि॒दथे॑षु॒ प्रय॑स्वान् ॥२॥
अहे॑म य॒ज्ञं प॒थामु॑रा॒णा इ॒मां सु॑वृ॒क्तिं वृ॑षणा जुषेथाम् ।
श्रु॒ष्टी॒वेव॒ प्रेषि॑तो वामबोधि॒ प्रति॒ स्तोमै॒र्जर॑माणो॒ वसि॑ष्ठः ॥३॥
उप॒ त्या वह्नी॑ गमतो॒ विशं॑ नो रक्षो॒हणा॒ सम्भृ॑ता वी॒ळुपा॑णी ।
समन्धां॑स्यग्मत मत्स॒राणि॒ मा नो॑ मर्धिष्ट॒मा ग॑तं शि॒वेन॑ ॥४॥
आ प॒श्चाता॑न्नास॒त्या पु॒रस्ता॒दाश्वि॑ना यातमध॒रादुद॑क्तात् ।
आ वि॒श्वत॒: पाञ्च॑जन्येन रा॒या यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभि॒: सदा॑ नः ॥५॥
अता॑रिष्म॒ तम॑सस्पा॒रम॒स्य प्रति॒ स्तोमं॑ देव॒यन्तो॒ दधा॑नाः ।
पु॒रु॒दंसा॑ पुरु॒तमा॑ पुरा॒जाऽम॑र्त्या हवते अ॒श्विना॒ गीः ॥१॥
न्यु॑ प्रि॒यो मनु॑षः सादि॒ होता॒ नास॑त्या॒ यो यज॑ते॒ वन्द॑ते च ।
अ॒श्नी॒तं मध्वो॑ अश्विना उपा॒क आ वां॑ वोचे वि॒दथे॑षु॒ प्रय॑स्वान् ॥२॥
अहे॑म य॒ज्ञं प॒थामु॑रा॒णा इ॒मां सु॑वृ॒क्तिं वृ॑षणा जुषेथाम् ।
श्रु॒ष्टी॒वेव॒ प्रेषि॑तो वामबोधि॒ प्रति॒ स्तोमै॒र्जर॑माणो॒ वसि॑ष्ठः ॥३॥
उप॒ त्या वह्नी॑ गमतो॒ विशं॑ नो रक्षो॒हणा॒ सम्भृ॑ता वी॒ळुपा॑णी ।
समन्धां॑स्यग्मत मत्स॒राणि॒ मा नो॑ मर्धिष्ट॒मा ग॑तं शि॒वेन॑ ॥४॥
आ प॒श्चाता॑न्नास॒त्या पु॒रस्ता॒दाश्वि॑ना यातमध॒रादुद॑क्तात् ।
आ वि॒श्वत॒: पाञ्च॑जन्येन रा॒या यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभि॒: सदा॑ नः ॥५॥