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SELECT SUKTA OF MANDALA 07
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 07 Sukta 078
A
A+
५ मैत्रावरुणिर्वसिष्ठ:। उषस: । त्रिष्टुप् ।
प्रति॑ के॒तव॑: प्रथ॒मा अ॑दृश्रन्नू॒र्ध्वा अ॑स्या अ॒ञ्जयो॒ वि श्र॑यन्ते ।
उषो॑ अ॒र्वाचा॑ बृह॒ता रथे॑न॒ ज्योति॑ष्मता वा॒मम॒स्मभ्यं॑ वक्षि ॥१
प्रति॑ षीम॒ग्निर्ज॑रते॒ समि॑द्ध॒: प्रति॒ विप्रा॑सो म॒तिभि॑र्गृ॒णन्त॑: ।
उ॒षा या॑ति॒ ज्योति॑षा॒ बाध॑माना॒ विश्वा॒ तमां॑सि दुरि॒ताप॑ दे॒वी ॥२॥
ए॒ता उ॒ त्याः प्रत्य॑दृश्रन्पु॒रस्ता॒ज्ज्योति॒र्यच्छ॑न्तीरु॒षसो॑ विभा॒तीः ।
प्रति॑ के॒तव॑: प्रथ॒मा अ॑दृश्रन्नू॒र्ध्वा अ॑स्या अ॒ञ्जयो॒ वि श्र॑यन्ते ।
उषो॑ अ॒र्वाचा॑ बृह॒ता रथे॑न॒ ज्योति॑ष्मता वा॒मम॒स्मभ्यं॑ वक्षि ॥१
प्रति॑ षीम॒ग्निर्ज॑रते॒ समि॑द्ध॒: प्रति॒ विप्रा॑सो म॒तिभि॑र्गृ॒णन्त॑: ।
उ॒षा या॑ति॒ ज्योति॑षा॒ बाध॑माना॒ विश्वा॒ तमां॑सि दुरि॒ताप॑ दे॒वी ॥२॥
ए॒ता उ॒ त्याः प्रत्य॑दृश्रन्पु॒रस्ता॒ज्ज्योति॒र्यच्छ॑न्तीरु॒षसो॑ विभा॒तीः ।
अजी॑जन॒न्त्सूर्यं॑ य॒ज्ञम॒ग्निम॑पा॒चीनं॒ तमो॑ अगा॒दजु॑ष्टम् ॥३॥
अचे॑ति दि॒वो दु॑हि॒ता म॒घोनी॒ विश्वे॑ पश्यन्त्यु॒षसं॑ विभा॒तीम् ।
आस्था॒द्रथं॑ स्व॒धया॑ यु॒ज्यमा॑न॒मा यमश्वा॑सः सु॒युजो॒ वह॑न्ति ॥४॥
प्रति॑ त्वा॒द्य सु॒मन॑सो बुधन्ता॒ऽस्माका॑सो म॒घवा॑नो व॒यं च॑ ।
ति॒ल्वि॒ला॒यध्व॑मुषसो विभा॒तीर्यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभि॒: सदा॑ नः ॥५॥