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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 01 Sukta 106
A
A+
७ कुत्स आङ्गिरसः। विश्वे देवाः। जगती, ७ त्रिष्टुप्।
इन्द्रं॑ मि॒त्रं वरु॑णम॒ग्निमू॒तये॒ मारु॑तं॒ शर्धो॒ अदि॑तिं हवामहे ।
रथं॒ न दु॒र्गाद् व॑सवः सुदानवो॒ विश्व॑स्मान्नो॒ अंह॑सो॒ निष्पि॑पर्तन ॥१॥
त आ॑दित्या॒ आ ग॑ता स॒र्वता॑तये भू॒त दे॑वा वृत्र॒तूर्ये॑षु श॒म्भुव॑: ।
रथं॒ न दु॒र्गाद् व॑सवः सुदानवो॒ विश्व॑स्मान्नो॒ अंह॑सो॒ निष्पि॑पर्तन ॥२॥
अव॑न्तु नः पि॒तर॑: सुप्रवाच॒ना उ॒त दे॒वी दे॒वपु॑त्रे ऋता॒वृधा॑ ।
रथं॒ न दु॒र्गाद् व॑सवः सुदानवो॒ विश्व॑स्मान्नो॒ अंह॑सो॒ निष्पि॑पर्तन ॥३॥
नरा॒शंसं॑ वा॒जिनं॑ वा॒जय॑न्नि॒ह क्ष॒यद्वी॑रं पू॒षणं॑ सु॒म्नैरी॑महे ।
रथं॒ न दु॒र्गाद् व॑सवः सुदानवो॒ विश्व॑स्मान्नो॒ अंह॑सो॒ निष्पि॑पर्तन ॥४॥
बृह॑स्पते॒ सद॒मिन्न॑: सु॒गं कृ॑धि॒ शं योर्यत् ते॒ मनु॑र्हितं॒ तदी॑महे ।
रथं॒ न दु॒र्गाद् व॑सवः सुदानवो॒ विश्व॑स्मान्नो॒ अंह॑सो॒ निष्पि॑पर्तन ॥५॥
इन्द्रं॒ कुत्सो॑ वृत्र॒हणं॒ शची॒पतिं॑ का॒टे निबा॑ह्ल॒ ऋषि॑रह्वदू॒तये॑ ।
रथं॒ न दु॒र्गाद् व॑सवः सुदानवो॒ विश्व॑स्मान्नो॒ अंह॑सो॒ निष्पि॑पर्तन ॥६॥
दे॒वैर्नो॑ दे॒व्यदि॑ति॒र्नि पा॑तु दे॒वस्त्रा॒ता त्रा॑यता॒मप्र॑युच्छन् ।
तन्नो॑ मि॒त्रो वरु॑णो मामहन्ता॒मदि॑ति॒: सिन्धु॑: पृथि॒वी उ॒त द्यौः ॥७॥
इन्द्रं॑ मि॒त्रं वरु॑णम॒ग्निमू॒तये॒ मारु॑तं॒ शर्धो॒ अदि॑तिं हवामहे ।
रथं॒ न दु॒र्गाद् व॑सवः सुदानवो॒ विश्व॑स्मान्नो॒ अंह॑सो॒ निष्पि॑पर्तन ॥१॥
त आ॑दित्या॒ आ ग॑ता स॒र्वता॑तये भू॒त दे॑वा वृत्र॒तूर्ये॑षु श॒म्भुव॑: ।
रथं॒ न दु॒र्गाद् व॑सवः सुदानवो॒ विश्व॑स्मान्नो॒ अंह॑सो॒ निष्पि॑पर्तन ॥२॥
अव॑न्तु नः पि॒तर॑: सुप्रवाच॒ना उ॒त दे॒वी दे॒वपु॑त्रे ऋता॒वृधा॑ ।
रथं॒ न दु॒र्गाद् व॑सवः सुदानवो॒ विश्व॑स्मान्नो॒ अंह॑सो॒ निष्पि॑पर्तन ॥३॥
नरा॒शंसं॑ वा॒जिनं॑ वा॒जय॑न्नि॒ह क्ष॒यद्वी॑रं पू॒षणं॑ सु॒म्नैरी॑महे ।
रथं॒ न दु॒र्गाद् व॑सवः सुदानवो॒ विश्व॑स्मान्नो॒ अंह॑सो॒ निष्पि॑पर्तन ॥४॥
बृह॑स्पते॒ सद॒मिन्न॑: सु॒गं कृ॑धि॒ शं योर्यत् ते॒ मनु॑र्हितं॒ तदी॑महे ।
रथं॒ न दु॒र्गाद् व॑सवः सुदानवो॒ विश्व॑स्मान्नो॒ अंह॑सो॒ निष्पि॑पर्तन ॥५॥
इन्द्रं॒ कुत्सो॑ वृत्र॒हणं॒ शची॒पतिं॑ का॒टे निबा॑ह्ल॒ ऋषि॑रह्वदू॒तये॑ ।
रथं॒ न दु॒र्गाद् व॑सवः सुदानवो॒ विश्व॑स्मान्नो॒ अंह॑सो॒ निष्पि॑पर्तन ॥६॥
दे॒वैर्नो॑ दे॒व्यदि॑ति॒र्नि पा॑तु दे॒वस्त्रा॒ता त्रा॑यता॒मप्र॑युच्छन् ।
तन्नो॑ मि॒त्रो वरु॑णो मामहन्ता॒मदि॑ति॒: सिन्धु॑: पृथि॒वी उ॒त द्यौः ॥७॥